28/3/16

हम सब विकलांग हैं

3 December का दिन International Day of People with Disability (IDPwD) विकलांग लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

३ दिसम्बर २०१५ को मैं चंदौली जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी के ऑफिस में गया था। वहाँ पर Children With Special Needs (CWSN) चिल्ड्रेन विथ स्पेशल नीड्स बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे कुर्सी दौड़, रस्सी खींच आदि आयोजित की गयी थीं।

ये बच्चे अलग-अलग प्रकार की शारीरिक अक्षमताओं के शिकार थे पर वे लगभग हर वो काम कर में सक्षम थे जो एक सामान्य बच्चा कर सकता है। जैसे की मूक और बधिर बच्चे आसानी से कम्यूनिकेट कर रहे थे। हालांकि मैं उनकी भाषा नहीं समझता पर वे बड़ी आसानी से आपस में और अपने शिक्षकों से बातें कर ले रहे थे।

हम सबने अपने बचपन में कुर्सी दौड़ खेला है। यह खेल कैसे खेला जाता है? इसमें एक गाना बजता है और बच्चे कुर्सियों के चारों ओर दौड़ते हैं। जैसे ही ये गाना बंद होता है बच्चे खाली कुर्सियों पर बैठ जाते हैं। अब क्योंकि कुर्सियों की संख्या बच्चों की संख्या से काम होती है इसलिए कुछ बच्चों को बैठने के लिए कुर्सियां नहीं मिलती और वे इस दौड़ से बहार हो जाते हैं।

अब यही खेल जब मूक एवं बधिर बच्चे खेल रहे थे तो क्योंकि वे सुन नहीं सकते इसलिए उनके लिए एक रूमाल लहराया जाता था, जैसे ही ये रूमाल लहराना बंद होता, बच्चे तुरंत कुर्सी की ओर दौड़ पड़ते।

इसी प्रकार हर विकलांग बच्चा किसी ना किसी प्रकार से लगभग सारे वे काम जो एक सामान्य बच्चा कर सकता है कर लेते हैं। जैसे अंधे बच्चे किताबें पढ़ लेते हैं, हालांकि वे इन्हें देखकर नहीं बल्कि छूकर पढ़ते हैं।

अब जरा सोचिये अगर कोई अँधा व्यक्ति ये सोच ले की मैं तो पढ़ ही नहीं सकता क्योंकि किताबों में लिखा मैं कैसे देखूंगा तो आप तो कहेंगे इसे कुछ नहीं मालूम। पर हम सब इसी प्रकार की किसी ना किसी कमी के शिकार हैं और बैठे- बैठे ये सोचते रहते हैं की काश ये कमी मुझमे ना होती तो मैं सारे काम कर लेता।

इस संसार में हर कोई किसी ना किसी प्रकार की दृश्य या अदृश्य विकलांगता का शिकार है। इसी प्रकार इस संसार में हर कोई किसी ना किसी प्रकार के दृश्य या अदृश्य वरदान का धारक है। हमें अपनी इन विकलांगताओं और वरदानों को पहचानना आना चाहिये।

हर काम को करने के कुछ जाने माने तरीके होते हैं और हम नए तरीकों के बारे में सोचते ही नहीं। यही हमारी विकलांगता है। क्योंकि हमने जो मान्यताएं बना ली हैं हम उनसे बंध जाते हैं और उन मान्यताओं को परखते नहीं। हम कोई नया रास्ता ढूँढते ही नहीं और हार मान लेते हैं।

हमें विकलांगताओं के दुष्प्रभावों को कम या समाप्त करने के उपाय ढूँढने चाहिए। और अपने वरदानों का फायदा उठाना चाहिए।

 

यह पोस्ट आपको कैसी लगी कमेंट के द्वारा बताएं।

अगर आप हमारी नयी पोस्ट की जानकारी अपने ईमेल पर मुफ्त प्राप्त करना चाहते हैं तो सब्सक्राइब करें।

15/3/16

परीक्षा सिर पर है अब पढ़ाई कैसे करें

अपनी एक पोस्ट परीक्षा में सफलता के रहस्य में मैंने परीक्षा में सफलता के लिए पढ़ाई कैसे करें इसकी जानकारी दी थी। जिसमें मैंने समय के सदुपयोग और अलग-अलग तरीकों से तैयारी करने के बारे में बताया था।

अब इस पोस्ट में जब परीक्षा एकदम पास हो तब तैयारी कैसे करें इस विषय पर कुछ तरीके मैं बताना चाहता हूँ। क्योंकि जब आपका सत्र शुरू होता है तो अलग तरीके से पढ़ाई की जाती है जबकि परीक्षा पास आने पर पढ़ाई का तरीका बदल जाता है।

Don’t Lose Hope लगे रहें

जब परीक्षा सर पर हो तो भी हमें हार नहीं माननी चाहिए। भले ही आपने पूरे सत्र में अच्छे से पढाई ना की हो पर अब भी आपके पास सफल होने का अवसर है और इस अवसर का पूरा उपयोग करें। हो सकता है की आपने परीक्षा के लिए जो लक्ष्य बनाया हो अब आपको लगता हो की आप उसे प्राप्त नहीं कर पायेंगे पर उम्मीद छोड़ देने से बेहतर है कि आप लगे रहें। क्योंकि तभी आप निराश होकर मेहनत छोड़ देने की तुलना में बेहतर परिणाम प्राप्त कर पायेंगे और हो सकता है की आप अपने लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकें।

अक्सर जब हम निराश होते हैं तो हम हर बात में बुरी से बुरी स्थिति (Worst Case Scenario) के बारे में सोचते हैं जैसे की प्रश्नपत्र कठिन आएगा, मैं भूल जाऊँगा, समय काम पड़ जाएगा। पर यह सब आपको तब तक नहीं पता चल सकता जब तक आप परीक्षा दे नहीं लेते। क्योंकि हो सकता है की इस साल प्रश्नपत्र बहुत सरल हो या आपने जो पढ़ा हो वही आए। ये आप पहले से नहीं जानते इसलिए चिंता छोड़ें और लगे रहें।

परीक्षा के प्रारूप का सम्मान करें Respect Examination Format

यदि कोई खिलाड़ी मरथान दौड़ की तैयारी करता है और यदि उसे १०० मीटर की दौड़ में दौड़ाया जाय तो वह भले ही यह दौड़ पूरी कर ले पर उसके जीतने की संभावना नहीं है। इसी प्रकार यदि कोई खिलाडी १०० मीटर की दौड़ की तैयारी करता है और उसे मैराथन में दौड़ाया जाय तो जीतना तो छोडिये वह शायद मैराथन पूरा भी नहीं कर पायेगा। हाँ शुरू में उसे भले लगे कि वह सबसे तेज और सबसे आगे दौड़ रहा है तो वही जीतेगा, परन्तु कुछ किलोमीटर के बाद स्थितियाँ बदल जाएँगी।

कहने का मतलब है कि आप जो परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उसका एक प्रारूप Format है जिसके अनुसार आपको तैयारी करनी पड़ती है। जैसे कि परीक्षा में प्रश्न का प्रकार बहुविकल्पीय (Objective) है या विवेचनात्मक (Subjective) है, परीक्षा के लिए निर्धारित सिलेबस क्या है? उदहारण के लिए आप किसी विषय पर ५०००० शब्दों का निबंध लिख सकते हैं परन्तु आपकी परीक्षा ३ घंटे की है और जो निबंध लिखना है वो १०० में से मात्र १५ अंकों का है। अब आप ५०००० शब्दों का निबंध लिखने बैठेंगे तो ना तो निबंध ही पूरा लिख पाएंगे ना तो परीक्षा उत्तीर्ण ही कर पायेंगे।

परिणाम पर ध्यान केन्द्रित करें Focus On Results

जब आप कक्षा में पढ़ाई करते हैं तो आपका ध्यान ज्ञान अर्जित करने पर होता है पर जब आप परीक्षा के समय तैयारी करते हैं तो ज्ञान के साथ-साथ परिणाम भी महत्वपूर्ण हो जाता है। जैसे की भले ही आपको बहुर सारा ज्ञान है पर यदि वह परीक्षा में पूछा ही ना जाय या आप उसे उत्तर पुस्तिका में सही ढंग से लिख ही ना पायें तो परीक्षा में अच्छे परिणाम नहीं मिल सकते।

Take Help मदद लें

परीक्षा में सफलता के लिए आपको परिवार के लोगों, शिक्षकों एवं अन्य लोगों से मदद लेने से भी नहीं चूकना चाहिए। यह मदद आप पढ़ाई के अलावा अन्य कार्यों में भी ले सकते हैं जिससे आपका समय बचे।

यह पोस्ट आपको कैसी लगी कमेंट के द्वारा बताएं।

अगर आप हमारी नयी पोस्ट की जानकारी अपने ईमेल पर मुफ्त प्राप्त करना चाहते हैं तो सब्सक्राइब करें।