कार्यों की आवश्यकता भी समय के साथ बदलती रहती है। आज जो आवश्यक कार्य है कल वह अत्यावश्यक बन सकता है या फिर अनावश्यक भी बन सकता है। इसी प्रकार आज का अनावश्यक कार्य कल को अत्यावश्यक बन सकता है। उदाहरण के लिए यदि आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो परीक्षा के दिन तक परीक्षा की तैयारी करना आवश्यक है पर जब परीक्षा का समय आता है तो परीक्षा की तैयारी अनावश्यक हो जाती है और परीक्षा देना अत्यावश्यक हो जाता है।
सफलता की राह में एक रोड़ा यह भी है की लोग हर कार्य को आवश्यक बना लेते हैं। याद रखिये यदि आपका हर कार्य आवश्यक है तो फिर आवश्यक शब्द का कोई मतलब नहीं रह जाता क्योंकि तब हम हर कार्य को अत्यावश्यक या अनावश्यक भी कह सकते हैं। याद रखें
यदि हर चीज आवश्यक है तो फिर कुछ भी आवश्यक नहीं है।
If everything is important then nothing is important.
इसलिए प्रतिदिन के कार्यों को अत्यावश्यक आवश्यक और अनावश्यक कार्यों में बाँट कर करना चाहिए। आवश्यक और अनावश्यक चीजों का निर्णय करना भी सफलता के लिए बहुत जरूरी हो जाता है। यदि आप किसी समय में क्या आवश्यक है और क्या अनावश्यक है इसका निर्णय करने में दक्ष हैं तो आपकी सफलता कुछ हद तक सुनिश्चित मान सकते हैं।
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